जस्टिस ए एम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सीटी रविकुमार की पीठ ने अपने फैसले में कहा है कि सदन के सदस्यों का ज्यादा वक्त एक दूसरे के खिलाफ उपहास और व्यक्तिगत हमलों में व्यतीत होता है।
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