बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने कहा कि अगर किसी विवाहित महिला को परिवार के लिए घर का काम करने के लिए कहा जाता है, तो इसे नौकरानी के जैसा कार्य नहीं समझा जाएगा और यह क्रूरता भी नहीं होगी।
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